Saturday, 14 May 2016

पुराने पन्नों से -

"लड़कियाँ जो पुल होती हैं" से उध्दृत।  




-पीछे छूट गए लोग-


पीछे छूट गए लोग 
बेहद घने होते हैं 
एक ही जगह ठहरे हुए 
ज़मीन में जा धंसते  हैं
बहुत गहरे 
मज़बूत 
और फैली जड़ों के सहारे 
अपना तना 
मोटा करते चले जाते हैं  
पीछे छूट गए लोग 
अतीत होते हैं 
भूली बिसरी संस्कृति होते हैं 
छायादार होते हैं 
पीछे छूट गए लोग 
भूत और वर्तमान के बीच 
बचाए रखते हैं 
अपनी शाखों से झूलती 
लगातार लम्बी होती जड़ें 
इसिलए तो पूजते हैं हम 
बरगद का पेड़ 


-संवेदना -
२००६ 
भोपाल 

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